क्या आप अकेले रहते हैं या समय कम है और फिर भी हेल्दी खाना चाहते हैं? यहाँ ऐसे व्यवहारिक सुझाव और रेसिपी हैं जो जल्दी बनें, पौष्टिक हों और स्वाद भी दें। हर सुझाव सीधा है — बिना जटिल सामग्री के।
नाश्ता छोड़ना आसान है, पर दिन अच्छा गुज़ारने के लिए नाश्ता ज़रूरी है। पोहा, उपमा और ओट्स पानी या दही के साथ 10–15 मिनट में तैयार हो जाते हैं। एक कटोरी दही में फल, थोड़े नट्स और चिया सीड मिलाएँ — ग्लूकोज नियंत्रित और फाइबर भरपूर। अंडा खाना पसंद है तो ऑमलेट में पालक और टमाटर डालकर प्रोटीन बढ़ाएँ।
सलाद बनाते समय पालक या कच्चे पत्ते, टमाटर, खीरा और चना या मूँग के स्प्राउट डालें — ताजा विटामिन और प्रोटीन दोनों मिल जाते हैं।
रोज़ के खाने के लिए कुछ नमूने जो अक्सर काम आते हैं: खिचड़ी (दाल और चावल का संतुलन), दाल-चावल और सब्ज़ी, वेज पुलाव, और पास्ता जिनमें सब्ज़ियाँ और हल्का सॉस हो। ये व्यंजन 20–30 मिनट में बन जाते हैं और टिक कर भी चलते हैं।
एक पैन रेसिपी: कटी हुई सब्ज़ियाँ, भुनी हुई चिकन या पनीर, और चावल/क्विनोआ मिलाकर तेज़ पुलाव बनता है। मसाले हल्के रखें ताकि स्वाद भी आए और पाचन भी ठीक रहे।
सूप्स और स्टिर-फ्राय भी अच्छे विकल्प हैं। दाल का सूप बेहतर प्रोटीन देता है। एक कटोरी सब्ज़ी सूप से पेट भरा रहता है और कैलोरी कम रहती है।
पास्ता बनाते समय साबुत गेहूँ का इस्तेमाल करें और क्रीम कम रखें। टमाटर-बेस्ड सॉस, हर्ब्स और भुनी सब्ज़ियाँ स्वाद बढ़ाती हैं बिना ज़्यादा तेल के।
रात में भारी खाना मत खाएँ। हल्का प्रोटीन और स्टीम्ड सब्ज़ियाँ आरामदायक रहती हैं और नींद भी अच्छी आती है।
खाना बनाते समय ये छोटी आदतें अपनाएँ: एक बार में ज़्यादा बना कर फ्रिज में बाँट लें, कटे हुए सब्ज़ियाँ स्टोर कर लें, और बेसिक मसाले जैसे हल्दी, जीरा, लाल मिर्च हमेशा रखें। इससे खाना तेज़ बनता है और बहाना कम बनता है।
शॉपिंग सूची में हमेशा रखें: दालें, चावल, ओट्स, साबुत अनाज, ताजा सब्ज़ियाँ, अंडे/पनीर या कोई प्रोटीन स्रोत, नट्स और दही। ये चीजें मिलाकर सप्ताह भर के खाने के विकल्प बन जाते हैं।
छोटे-छोटे बदलाव बड़े असर करते हैं: तेल कम करें, तला हुआ कम खाएँ, और पानी व फाइबर बढ़ाएँ। अगर आप रोज़ाना 20–30 मिनट पहले तैयारी कर लें तो दोगुना फायदा मिलता है — समय की बचत और बेहतर खाना।
अंत में, खाने को रूटीन में बांधें पर बोरियत से बचने के लिए हर हफ्ते एक नई स्पाइस या रेसिपी आज़माएँ। छोटा बदलाव आपकी सेहत और जीवनशैली दोनों बदल सकता है।