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नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी के चुनावी माहौल में इन दिनों अवसरवाद की राजनीति चरम पर है। कांग्रेस नेता कृष्णा तीरथ ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चोला ओढ़ लिया। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 'हृदय परिवर्तन' का दौर जारी है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में मंत्री रही कृष्णा ने कहा कि इस पार्टी (भाजपा) में अनुशासन है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद कृष्णा ने कहा, "पार्टी में मेरी भूमिका पार्टी नेतृत्व तय करेगा।"
तीरथ ने संवाददाताओं से कहा, "मैं भाजपा में इसलिए शामिल हुई हूं, क्योंकि इस पार्टी में अनुशासन है। मेरा ध्येय जनसेवा है।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को इस बात पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि पार्टी के नेता क्यों पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस में अनुशासन तथा विचार की कमी है। पार्टी को यह सोचने की जरूरत है कि क्यों उसके नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।"
इसी क्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की।
संप्रग-2 सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं कृष्णा तीरथ कांग्रेस के टिकट पर उत्तर-पश्चिम दिल्ली से 15वीं लोकसभा के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने भाजपा की उम्मीदवार मीरा कांवरिया को हराया था। वह दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में रही हैं।
कांग्रेस के एक नेता ने इस बात को स्वीकार किया कि तीरथ का भाजपा में शामिल होना एक अचरज से कम नहीं।
तीरथ को पार्टी में शामिल करने को भाजपा द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं तथा दलित समुदाय के बीच अपनी पैठ मजबूत बनाने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा में शामिल होने वालों में तीरथ तीसरा जाना-पहचानानाम हैं। इससे पहले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी किरण बेदी तथा आम आदमी पार्टी (आप) की नेता शाजिया इल्मी भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
दिल्ली के करोलबाग में 3 मार्च 1955 को जन्मीं कृष्णा तीन बेटियों की मां हैं। पति विजय तीरथ 25 वर्ष की उम्र में दिल्ली के म्युनिसिपल कमिश्नर बने और बाद में बैंक मैनेजर। वर्ष 2000 में कृष्णा जब शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री बनीं, तब विजय ने बैंक मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया, ताकि पत्नी के राजनीतिक कैरियर में सहयोग देने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
कृष्णा तीरथ के ससुर टी. सोहन लाल स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया था।