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दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) आवासीय भवन के लकी ड्रॉ के परिणाम घोषित किए जाने के बाद जिन लोगों का नाम इसमें नहीं आ सका वे लोग एनसीआर के प्राइम लोकेशंस में से एक नोएडा की ओर रुख अवश्य करेंगे। ऐसे में स्थानीय प्रॉपर्टी बाजार में तेजी आने के प्रबल संभावनाएं हैं।
नोएडाः दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के लकी ड्रॉ के बाद डीडीए फ्लैट नहीं पा सके करीब पौने दस लाख लोगों की मायूसी स्थानीय प्रॉपर्टी बाजार की चमक बन सकती है। अफोर्डेबल और लग्जरी दोनों तरह के डिवेलपर्स के अलावा रीसेल सेगमेंट के जानकार कहते हैं कि डीडीए स्कीम के कारण लाखों खरीदार हाथ बांधकर बैठे थे और इससे दिल्ली-एनसीआर में खरीद-बिक्री लगभग ठप हो गई थी, लेकिन अब 9.75 असफल आवेदकों के बाजार में लौटने और फॉर्म खरीदकर भी अप्लाई नहीं करने वाले अन्य 7 लाख लोगों की ओर से भी बाईंग होने से अचानक सेंटिमेंट बदल सकता है। दिल्ली में लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी मिलने के बाद हरकत में आईं रीयल्टी कंपनियों के पहले निशाने पर भी यही लोग हैं। करीब 3 लाख अनसोल्ड फ्लैटों वाले एनसीआर रीजन के बड़े डिवेलपर्स में से एक आम्रपाली ग्रुप के ऐग्जिक्युटिव डायरेक्टर शिव प्रिया ने बताया, 'ड्रॉ के बाद मार्केट में तेजी आएगी और कीमतें भी बढ़ेंगी। हालांकि, डीडीए स्कीम में ज्यादातर लो बजट कस्टमर्स ने आवेदन किया था, लेकिन अब उनके पास केवल प्राइवेट सेक्टर में लौटने का कोई रास्ता नहीं है। 35-40 लाख से ज्यादा कीमत वाले फ्लैटों के आवेदक तो सीधे नोएडा, गुड़गांव के प्राइम लोकेशन की ओर मुड़ेंगे, लेकिन बाकियों के लिए भी बाहरी इलाकों में काफी अफोर्डेबल घर बन रहे हैं।'
माइक्रोटेक इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी अजय अग्रवाल ने कहा, 'अब ज्यादातर कंपनियां ऐसी स्कीम लेकर आ रही हैं, जहां 10-15 प्रतिशत अपफ्रंट पर आप घर बुक करा सकते हैं और बाकी रकम पजेशन के बाद देनी होगी। इससे डीडीए के ग्राहकों के लिए भी यह बाजार मुफीद दिखने लगा है। अब जब ड्रॉ हो चुके हैं तो अफोर्डेबल और मिड रेंज के बायर्स ऐक्शन में आ जाएंगे। बहुत कम बजट वालों के लिए लैंड पूलिंग एक बेहतर ऑप्शन दिख रही है।' प्रॉपर्टी गुरु और रिमैक्स इंडिया के हेड सैम चोपड़ा कहते हैं, 'डीडीए को सभी आवेदकों के अर्नेस्ट अमाउंट से ब्याज के तौर अच्छी खासी रकम मिलेगी। उसे चाहिए कि उन्हें अफोर्डेबल बजट में ही लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत जल्द से जल्द घर मुहैया कराए। इसके लिए रीयल्टी कंपनियां पहले से कमर कसकर बैठी हैं। डीडीए के पास दिल्ली में अभी बहुत सी जमीन तो है ही, एग्रीकल्चरल, रूरल और दूसरे तरह के प्रॉइवेट लैंडलॉर्ड भी डिवेलपमेंट में हिस्सेदारी का फायदा उठाने को आतुर होंगे।' उन्होंने बताया कि सबको घर मुहैया कराने के केंद्र सरकार के लक्ष्य को देखते हुए लैंडपूलिंग से बेहतर ऑप्शन कुछ नहीं हो सकता।
क्रेडाई-एनसीआर के सेक्रेटरी और सत्याग्रुप के एमडी मनीष अग्रवाल का मानना है की डीडीए स्कीम में बहुत से लोगों ने सिर्फ इन्वेस्टमेंट के उद्देश्य से पैसा लगाया था, ऐसे निवेशक अब एनसीआर की इनवेंटरी का रुख करेंगे। प्रॉपर्टी जानकारों की मानें तो डीडीए स्कीम के तहत रिसेल पर 5 साल की पाबंदी के चलते बाकी आवेदकों के लिए वहां खरीदारी का रास्ता बंद है और दूसरी अथॉरिटीज की ओर से फिलहाल कोई स्कीम नहीं आ रही। दिल्ली सरकार की ओर से सभी कैटेगरीज में सर्कल रेट 20 पर्सेंट बढ़ा देने से यहां रिसेल मार्केट और महंगा ही हुआ है। ऐसे में रिहाइश और निवेश दोनों के मकसद से लोग बिल्डर्स हाउसिंग में ही विकल्प तलाशतें दिखेंगे।