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ग्रीन कॉन्सेप्ट पर होगी स्मार्ट सिटी की स्थापना
13 December, 2014
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Property registrations go up in city HUDCO gets Rs 172 cr subscription बिल से रियल एस्टेट इंडस्ट्री को टेंशन नए कांसेप्ट पर काम कर रहे हैं बिल्डर Office demand in Delhi to be stable
नई दिल्ली। लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्मार्ट सिटी बसाने का प्लान है। सिटी की सबसे बड़ी खासियत होगी मुख्य सड़क जिसे 300 फुट चौड़ा बनाया जाएगा। इस सड़क की पूरी लंबाई के दोनों ओर 500-500 मीटर जगह लेते हुए पूरा ·मर्शियल हब बनाया जाएगा। कमर्शियल हब में प्राइमरी स्कूल, सेकेंडरी स्कूल, कॉलेज, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, एम्यूजमेंट सेंटर, जिम, नेहरू प्लेस और भीकाजी कामा प्लेस जैसे बिजनेस स्पॉट, पुलिस स्टेशन, फायर ब्रिगेड ऑफिस, क्म्यूनिटी सेंटर, ओल्डएज होम और रेस्टोरेंट सहित रोजमर्रा में काम आने वाले दूसरे सेंटर भी होंगे। मेट्रो और रोड ट्रांसपोर्ट का भी बेहतरीन तालमेल बैठाया जाएगा। रात के वंचित स्ट्रीट लाइटों से विजिबिलिटी का खास ख्याल रखा जाएगा, ताकि आपराधिक तत्वों को क्राइम रोकने से रोका जा सके। स्मार्ट सिटी ग्रीन कॉन्सेप्ट पर होगी। कोशिश यही रहेगी कि इसकी बिल्डिंगों में बाहर की दीवारें सफेद रंग की हों, ताकि बिजली की काम खपत हो। इस सिटी में पानी में इस्तेमाल का ऐसा इंतजाम होगा, जिससे पानी का दोबारा भी यूज हो सके। रेन वॉटर हॉर्वेस्टिंग भी की जाएगी। इस बारे में डीडीए का कहना है कि जल्द ही लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए नॉटिफिकेशन हो जाएगा।
लैंड पूलिंग का मतलब एक से अधिक डेवलेपर्स अपनी जमीन को डीडीए को देंगे। बदले में डीडीए उस जमीन के बदले अपने हिसाब से उन डेवलेपर्स को लैंड देगा। जहां रेजिडेंशल और यह कमर्शियल कंस्ट्रक्शन किया जा सकेगा। इसके लिए शर्त यह रखी गई है कि जो जमीन डीडीए को दी जाएगी वह कम से कम पांच एकड़ होनी चाहिए। इसके लिए दो कैटिगरी रखी गई हैं। पहली में पांच एकड़ से लेकर 50 एकड़ तक और दूसरी कैटिगरी में 50 एकड़ से ऊपर कितनी भी हो सकती है। जहां पर प्राइवेट डेवलेपर्स की मदद से स्मार्ट सिटी बनाई जा सकती हैं। डीडीए का कहना है कि डीडीए को दी जाने वाली यह जमीन किसी भी जोन में हो सकती है। मगर बदले में जो जमीन डीडीए डेवलेपर्स को देगा वह अपने हिसाब से देगा, जहां हाउसिंग सोसायटी बनाई जा सकेंगी। डीडीए का मानना है कि इस पॉलिसी से अगले 10 सालों में दिल्ली में 20 लाख फ्लैट बनाए जा सकेंगे। इससे दिल्ली में मकानों की कमी की दिक्कत काफी हद तक दूर हो जाएगी।
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