अगर किसी ने आपसे बिना सहमति के या अनादर के तरीके से यौन संबंध बनाए, तो यह अपराध है और आप अकेले नहीं हैं। पहले यह समझ लें कि सहज सहमति के बिना किया गया कोई भी अंतरंग व्यवहार गलत है। भावनात्मक परेशानी, शारीरिक चोट या डर—ये सब नॉर्मल प्रतिक्रियाएँ हैं और मदद मिल सकती है।
पहला कदम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जो भी स्थिति हुई, खुद को ऐसी जगह ले जाएँ जहाँ आप सुरक्षित महसूस करें — दोस्त के पास, परिवार या किसी सार्वजनिक जगह पर। अगर रात में हुआ है और आप असहज हैं, तो अस्पताल जाने पर कल्पना करें कि वहां पर मेडिकल टीम आपकी मदद करेगी। चोट या दर्द हो तो डॉक्टर से मिलें; मेडिकल रिपोर्ट बाद में कानूनी सहारे में काम आती है।
साक्ष्य बचाना जरूरी है। अगर संभव हो तो कपड़े न बदलें, न नहाएँ और जिस स्थान पर घटना हुई थी, उसकी तस्वीरें लें या स्थिति को नोट कर लें। ये छोटे कदम भविष्य के सबूत बन सकते हैं। पर इन सबको करते हुए अपनी मानसिक स्थिति का खयाल रखें — अगर कोई कदम आपके लिए मुश्किल हो, तो पहले सुरक्षित होना ही प्राथमिकता है।
कानून के हिसाब से जबरन यौन संबंध, बलात्कार और यौन उत्पीड़न गंभीर अपराध हैं। आप स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। अगर पुलिस में जाना मुश्किल लगे तो नजदीकी महिला सहायता केंद्र, एनजीओ या अस्पताल के महिला हेल्प डेस्क से संपर्क करें। कई संस्थान मुफ्त कानूनी और काउंसलिंग सहायता देते हैं।
भावनात्मक समर्थन उतना ही ज़रूरी है जितना कानूनी कदम। किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार से बात करें। अगर तुरंत बात करने का मन नहीं है, तो भारत में उपलब्ध हेल्पलाइन नंबर या स्थानीय एनजीओ से कॉल करके अनाम रूप से भी सलाह मिल सकती है। मानसिक दबाव कम करने के लिए पेशेवर काउंसलर से मिलना बहुत मददगार होता है।
क्या आप किसी को मदद करना चाहते हैं? सुनिए बिना निर्णय किए, भरोसा बनाइए और पीड़ित की बात पर विश्वास जताइए। उसे पुलिस या अस्पताल ले जाने में मदद करें, या कानूनी मदद खोजने में साथ दें। जब तक वह चाहती है, तब तक उसके साथ रहें पर दबाव न डालें।
रोकथाम भी जरूरी है। रिश्तों में स्पष्ट सीमा और सहमति पर बात करें। जब भी शंका हो, 'क्या तुम ठीक हो?' या 'क्या तुम सहमत हो?' जैसे सीधे प्रश्न पूछें। शराब या दबाव में लिए गए फैसलों को गंभीरता से लें।
याद रखें: आपकी सुरक्षा और इज्जत प्राथमिक है। अगर आपको कुछ हुआ है, चुप न रहें — मदद मांगना आपकी ताकत है। स्थानीय पुलिस, अस्पताल या भरोसेमंद एनजीओ से संपर्क कर के पहले कदम उठाएँ। आप सही कदम उठाकर अपनी और दूसरों की सुरक्षा में फर्क ला सकते हैं।