अगर आपने यह टैग खोला है तो शायद आप खबरें देखना चाहते हैं या किसी केस के बारे में जानकारी और मदद चाह रहे हैं। इस पेज पर हम ताज़ा रिपोर्ट्स के साथ-साथ पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए सीधी, उपयोगी और व्यावहारिक सलाह देंगे। यहां कोई संवेदनशील विवरण नहीं, सिर्फ काम आने वाली जानकारी।
सबसे पहले अपनी सुरक्षा ज़रूरी है। अगर खतरा चालू है तो तुरंत आपातकालीन नंबर 112 पर कॉल करें। सुरक्षित जगह पर जाएँ। चिकित्सा सहायता लें — अस्पताल में जाकर मेडिको-लीगल (MLC) जांच करवाना बहुत ज़रूरी है। शरीर पर किसी भी तरह के सबूत (कपड़े, ऊंगली के निशान, घाव) को धोएं या बदलें नहीं; अगर बदलने की ज़रूरत हो तो कपड़ों को एक साफ थैले में रखें।
पुलिस रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराना आपका अधिकार है। महिला के मामले में महिला अधिकारी की मांग कर सकते हैं। नज़दीकी महिला हेल्पलाइन 181 या स्थानीय पुलिस थाने से संपर्क करें। अगर पीड़िता नाबालिग है तो POCSO एक्ट लागू होता है — यह बच्चे के खिलाफ यौन अपराधों के लिए विशेष कानून है और प्रक्रियाएँ तेज़ होती हैं।
कानूनी तौर पर भारत में बलात्कार संबंधित धाराएँ IPC में मौजूद हैं; दोषी पाए जाने पर सज़ा और जुर्माना तय होता है। पीड़ित को मुफ्त कानूनी सहायता मिल सकती है — राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राज्य स्तर पर मुफ्त वकील उपलब्ध होते हैं। अस्पताल में मेडिकल रिपोर्ट, पुलिस FIR, और गवाहों के बयान सब सेहतमंद मामले के लिए जरूरी होते हैं।
भावनात्मक समर्थन उतना ही अहम है जितना कानूनी कदम। काउंसलिंग उपलब्ध है — सरकारी और गैर‑सरकारी संस्था दोनों में। आप परिवार या विश्वसनीय दोस्त से बात कर सकते हैं, पर अगर यह संभव न हो तो पेशेवर काउंसलर से संपर्क करें।
अगर आप पत्रकार हैं या खबर पढ़ रहे हैं तो ध्यान रखें: ऐसे मामलों में संवेदनशील रिपोर्टिंग जरूरी है। पीड़िता की पहचान, निजी विवरण और ट्रिगर करने वाले विवरण प्रकाशित करने से बचें। खबरों का मकसद न्याय और जागरूकता होना चाहिए, सनसनी खोजना नहीं।
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अगर आप यहाँ पर किसी रिपोर्ट या केस से जुड़ा समाचार पढ़ते हैं और मदद चाहिए तो नोट करें: सुरक्षा पहले, मेडिकल जांच तुरंत, FIR दर्ज कराना और फिर कानूनी व मनोवैज्ञानिक सहायता लेना। इन सरल कदमों से आपको मजबूत शुरुआत मिल सकती है।
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