क्या आपने कभी सोचा है कि आपका हैंडफिंगर या आवाज़ से अक्सेस खोलना कितना आसान हो सकता है? इसे ही बायोसिग्नेचर कहते हैं। यह तकनीक आपके शरीर के अनोखे लक्षण जैसे फिंगरप्रिंट, आइरिस, आवाज़ या चेहरा इस्तेमाल करके ऑनलाइन या ऑफलाइन पहचान करवाती है।
सबसे आम फिंगरप्रिंट स्कैनर है, जिसे मोबाइल फोन या लैपटॉप में आसानी से लगा सकते हैं। आइरिस स्कैनर थोड़ा महंगा है, लेकिन सुरक्षा में बहुत भरोसेमंद माना जाता है। आवाज़ पहचान सरकारी सेवाओं में बढ़ रही है—आप केवल अपना नाम लेकर कमांड देंगे, सिस्टम आपका आवाज़ पहचान लेता है। चेहरा पहचान (फेशियल रिकग्निशन) अब कई फोन में डिफ़ॉल्ट है, बस स्क्रीन अनलॉक करने के लिए एक बार देखिए।
आपको पासवर्ड याद रखने की जरूरत नहीं, इसलिए भूलने की समस्या नहीं होती। साथ ही, हर व्यक्ति का बायोडेटा यूनिक होता है, इसलिए हैकर्स के लिए चोरी करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए: बायोडेटा एक बार लीक हो जाए तो बदलना मुश्किल होता है, इसलिए प्रत्येक डिवाइस पर एन्क्रिप्शन और दो-फ़ैक्टर ऑथेंटिकेशन जोड़ना अच्छा रहता है।
अगर आप नया बायोसिग्नेचर सेट कर रहे हैं, तो स्क्रीन साफ रखें और हावी लाइट से बचें। फिंगरप्रिंट स्कैन करते समय हाथ सूखा रखें, नहीं तो पढ़ने में दिक्कत हो सकती है। आवाज़ रिकॉर्डिंग के लिए शांत स्थान चुनें, बैकग्राउंड शोर से पहचान कमज़ोर हो सकती है।
व्यवसायों के लिए बायोसिग्नेचर ग्राहक लॉगिन, बैंक ट्रांज़ैक्शन और कर्मचारी एंट्री कंट्रोल में बहुत उपयोगी है। कई बैंक अब फ़ोन पर फिंगरप्रिंट या फेस आईडी के जरिए तुरंत पैसे ट्रांसफ़र करने की सुविधा दे रहे हैं। सरकारी सेवाओं में भी यह तकनीक काग़ज़ी काम कम कर रही है—जैसे ई-ड्राइविंग लाइसेंस या डिजिटल पासपोर्ट।
भविष्य में बायोसिग्नेचर और स्मार्ट बना रहेगा। आने वाले सालों में DNA-आधारित पहचान और भी प्रचलित हो सकती है, जिससे सुरक्षा लेवल और बढ़ेगा। लेकिन साथ ही, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए कानून भी कड़ा होगा, इसलिए हमेशा अपडेटेड प्राइवेसी पॉलिसी पढ़ें।
तो अगली बार जब आप अपना फोन अनलॉक करेंगे या ऑनलाइन भुगतान करेंगे, तो याद रखें—यह सब बायोसिग्नेचर की वजह से आसान और सुरक्षित हो रहा है। अगर अभी तक नहीं अपनाया, तो एक भरोसेमंद डिवाइस में फिंगरप्रिंट या फेस आईडी सेट करके देखिए, फर्क खुद महसूस करेंगे।