जब भी अंतरिक्ष मिशन की बात आती है तो मंगल ग्रह सबसे पहले दिमाग में आता है। लोग अक्सर पूछते हैं – क्या वहाँ कहीं भी जीवन है? अभी तक कोई जीवित प्राणी नहीं मिला, लेकिन कई संकेत हैं जो बताते हैं कि कभी यहाँ जल और जीवन संभव था।
नासा के मार्स रॉवर, पर्सिविरेंस और क्यूरियोसिटी ने सतह पर पुराने नदियों की छापें, जल के ठोस अवशेष और नमक के जमे हुए लेयर देखी हैं। ये सब बताता है कि जब ग्रह का तापमान गर्म था, तब यहाँ पर स्थायी पानी मौजूद था। पानी के बिना जीवन की कल्पना मुश्किल है।
साथ ही, मंगल का वायुमंडल हल्का है, लेकिन उसमें मेथेन वायू के छोटे-छोटे फ्लक्स देखे गये हैं। मेथेन अक्सर जिवित जीवों के द्वारा उत्पन्न होता है, इसलिए वैज्ञानिक इसे संभावित बायोसिग्नेल मानते हैं। लेकिन मेथेन के कई गैर-जीवाणु स्रोत भी हो सकते हैं, इसलिए इसे अकेले पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
यदि हम मंगल पर स्थायी बस्ती बनाना चाहते हैं तो सबसे बड़ा काम है पानी और ऑक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करना। आधे रास्ते में, इएलटीएस जैसे प्रोजेक्ट पानी को बर्फ से निकाल कर पीने योग्य बनाते हैं। ऐसी तकनीकें हमें बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगी।
दूसरा कदम है प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मार्स के मिट्टी में पौधे उगाना। कुछ प्रयोगशालाओं ने लाल मिट्टी में एर्गोलाइट और हाइड्रोपोनिक सिस्टम से बीज उगाए हैं। यह दिखाता है कि सही पोषक तत्व और प्रकाश से खाद्य उत्पादन संभव है।इन सबके साथ, मानव स्वास्थ्य की देखभाल भी ज़रूरी है। मंगल की कम गुरुत्वाकर्षण हड्डियों और मांसपेशियों के लिए चुनौती है, इसलिए अंतरिक्ष में व्यायाम और कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण के प्रयोगों पर काम चल रहा है।
अंत में, यह समझना जरूरी है कि मंगल पर जीवन की जाँच सिर्फ खोज नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। चाहे वह सूक्ष्मजीव हों या भविष्य के अंतरिक्ष यात्री, हर कदम से हमें हमारे ग्रह और ब्रह्मांड के बारे में नई सीख मिलती है। अगर आप इस यात्रा में रूचि रखते हैं तो नवीनतम मिशन अपडेट्स, वैज्ञानिक लेख और डॉक्यूमेंट्री देखना न भूलें।